खिल सकते हैं मुरझाए हुए फूल, शर्त यह है, उन्हें सीने से लगाना होगा। कुछ
इसी तरह के जज्बात रखती है सिविल सेवा परीक्षा में देशभर में 239वां रैंक
पाने वाली डा. कादम्बरी। डाक्टरी प्रोफेशन के दौरान ग्रामीण व पिछड़े इलाके
की महिलाओं की दशा ने डा. कादम्बरी के करियर की दिशा बदल कर रख दी। डा. कादम्बरी कहती हैं कि भले ही आज हम 21वीं
शताब्दी में पहुंच गए हैं, लेकिन महिलाओं का आज भी समाज में तिरस्कार होता
है। खासकर ग्रामीण व पिछड़े इलाकों की महिलाओं की आवाज आज भी दबाई जाती है।
पहले प्रयास में डा. कादम्बरी ने 239वां रैंक हासिल कर सिविल सेवा में न
केवल अपना बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। डा. कादम्बरी ने दयानंद
मेडिकल कालेज लुधियाना से अपनी एमबीबीएस की डिग्री गोल्ड मेडल से हासिल की
है। डा. कादम्बरी के घर में आज दीपावली जैसा माहौल था। सिविल सेवा परीक्षा
के परिणाम की खबर मिलते ही आस-पड़ोस के लोगों व रिश्तेदारों का उनके घर पर
तांता लगा था। कोई फोन पर उन्हें बधाइयां दे रहा था। आईएएस परीक्षा के लिए
डा. कादम्बरी ने दिल्ली के कोचिंग सेंटर से कोचिंग लेने के साथ-साथ
प्रतिदिन 10 से 12 घंटे की पढ़ाई की थी। सिविल सर्विसेज में डा. कादम्बरी
ने साइकोलाजी को जहां अपना फर्स्ट आप्शन बनाया था, वहीं मेडिकल साइंस उसका
दूसरा अप्शनल पेपर था। पढ़ाई के साथ-साथ कादम्बरी को दिन में काफी पीना व
जगजीत सिंह की गजलें सुनना काफी पसंद है। डा. कादम्बरी की आईएएस पहली व
इंडियन फारेन सर्विसेज दूसरी आप्शन है। पिता रिटायर्ड इनकम टैक्स आफिसर
केएल भगत, माता कमलेश भगत और भाई कमिश्नर बठिंडा रवि भगत ने डा. कादम्बरी
की सफलता से काफी खुशी महसूस की। कादम्बरी अपनी सफलता का श्रेय अपने
भाई-भाभी के प्रोत्साहन को देती है।
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